रविवार, फ़रवरी 11, 2007

घडीबाबा - कुसुमाग्रज

कविवर्य "कुसुमाग्रज" मराठी के जाने माने कवि हैं। बचपन में पाठ्यक्रम में हमें उनकी एक कविता हुआ करती थी। उस कविता कि स्मृति आज तक मन में ताज़ा है। "घड्याळबाबा" नामक उस कविता को सुनकर मन में अनेक सुखद क्षण उमड आते हैं। आज उस कविता का भावानुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ।
------------------------------------------------------------------
घडीबाबा दिवाल पर बैठते हैं
दिन भर टिक - टिक करते हैं
ठन ठन ठोका देते हैं
और कहते हैं -
बच्चों, छै बज गए
अब उठो,
बच्चों, आठ बज गए
अब नहाओ।
बच्चों, दस बज गए
अब खाना खाओ।
ग्यारह बज गए, स्कूल जाओ।

हम रोज घडीबाबा कि सुनते हैं।
पर इतवार को एक नहीं सुनते।
वो कहते है, छै बज गए, उठो,
हम सात बजे उठते हैं।
वो कहते हैं, आठ बज गए, नहाओ,
हम नौ बजे नहाते हैं।
वो कहते हैं, दस बज गए, खाना खाओ,
हम ग्यारह बजे खातें हैं।
और इतवार को स्कूल कि
तो छुट्टी होती है।
फिर घडीबाबा खूब गुस्सा करते हैं
जोर जोर से टिक टिक करते हैं
गुस्से से ठन ठन ठोके लगाते हैं
पर इतवार को हम उनकी तरफ
देखते भी नहीं।
देखा भी तो सिर्फ हँसते हैं
और खेलते रहते हैं।


------------------------------------------------------------------
मूल कविता: घड्याळबाबा
मूल कवि: कुसुमाग्रज
हिन्दी भावानुवाद: तुषार जोशी, नागपुर

5 टिप्‍पणियां:

  1. MArathi me to nahi padhi ye kavita. par yahan hindi bhavanuvad padh kar man ho raha hai...padhi jaye. Badhiya, sab kuch pathak ki kalpana par, jo chahe vo arth nikale, na chahe tobhi kavita apna uddesh purna karati hai.
    (Apase anurodh hai ki marathi natakon ka anuvad yadi aap laa saken, to badi baat hogi..hindi me bhi unhe padhna chahta hun. Aur chahta hun ki log paden..aap saksham hain aur unkaa bhi safal bhavanuvaad kar sakate hain)

    जवाब देंहटाएं
  2. बालमन की सुन्दर तथा सरल कविता।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपको तो ज्ञात होगा कि मै यहाँ कम ही टिप्पणी करता हूँ मगर आपने मजबूर किया. बहुत खुब. यूँ ही लिखते रहें, शुभकमनायें, तुषार भाई.

    जवाब देंहटाएं
  4. बेनामी11:09 pm

    अच्छी लगी । यदि मूल मराठी भी देते तो और प्रसन्नता होती ।
    घुघूती बासूती
    ghughutibasuti.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  5. उपस्थित, पंडितजी, समीर लालजी और बासूती जी आप सब ने सहारा और प्यार दिया। अब हौसला और भी बढ़ गया है।

    जवाब देंहटाएं

आपने यह अनुवाद पढा इसलिये आपका बहोत बहोत आभारी हूँ। आपको यह प्रयास कैसा लगा मुझे बताईये। अपना बहुमुल्य अभिप्राय यहाँ लिख जाईये। अगर आप मराठी जानते हैं और आप इस कविता का मराठी रूप सुन चुकें है तब आप ये भी बता सकतें है के मै कितना अर्थ के निकट पहुँच पाया हूँ। आपका सुझाव मुझे अधिक उत्साह प्रदान करेगा।