कुछ मराठी कविताएं जो पुनः पुनः पढने का मन करता है ऐसी कविताओं का हिंदी अनुवादकरने का ये एक प्रयास है।
रविवार, सितंबर 04, 2011
तुम्हे घटा दिया तो
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तुम्हे घटा दिया तो
कुछ भी नहीं बचेगा जानता हूँ
तुम्हारे बिना जिंदगी
मैं जिंदगी ही नहीं मानता हूँ
मूल मराठी कवी: चंद्रशेखर गोखले
हिंदी अनुवाद: तुषार जोशी, नागपूर
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आपने यह अनुवाद पढा इसलिये आपका बहोत बहोत आभारी हूँ। आपको यह प्रयास कैसा लगा मुझे बताईये। अपना बहुमुल्य अभिप्राय यहाँ लिख जाईये। अगर आप मराठी जानते हैं और आप इस कविता का मराठी रूप सुन चुकें है तब आप ये भी बता सकतें है के मै कितना अर्थ के निकट पहुँच पाया हूँ। आपका सुझाव मुझे अधिक उत्साह प्रदान करेगा।
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