'आयुष्यावर बोलू काही' ईस तुफान लोकप्रिय कार्यक्रम में संदीप खरे और सलील कुलकर्णी इन कलाकारों ने संदीप खरे लिखित एकसे एक कविताओं को गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर रखा है. ऐसे ही एक वक्त 'दमलेल्या बापाची कहाणी' ये कविता गाकर दोनों नें सबको रूला दिया. ईतनी भावविभोर कविता हिन्दी जगत को सुनाने का मोह हुआ तब उस कविता का अपनी तरफ से जैसे भी बन पडा अनुवाद करने का प्रयास किया है.
ये गीत मराठी में आप यूट्यूब पर यहाँ सुन सकते है|
मुरझाई सो गई है एक परी रानी
आँखियों में सूख गया अखियोंका पानी
आज नहीं रोज ही तो होता है ऐसे
माफी कैसे मांगू बेटी मूँ दिखाउ कैसे?
सो जाऊँगा पास तेरे पास आजाओगी
निंद में हो के भी तुम खुश हो जाओगी
सुनो मेरी लाडो तुमको सुनानी है
थके हारे पापा की कैसी कहानी है
किसी एक शहर में लोग बहुतेरे
पसिनेमें राजा करे लोकल के फेरे
रोज राजा सुबह को कहता है यही
कल रात कहानी तो फिर रह गई
आ ना पाया कल लाडो घर मैँ जलदी
आज आऊंगा घर जलदी जलदी
सपनों के गाँव में हम घुमने जायेंगे
तेरे लिये कहानी की परी ले आयेंगे
थके हाथों में झुलेगी लाडो रानी है
थके हारे पापा की कैसी कहानी है
देर तक आफिस में रहते रहते
सर चकराये काम करते करते
घंटा घंटा काम में यूही निकला जाए
एक एक दिया धिरे धिरे बुझ जाए
उस वक्त कैसा लगे कैसे बाताऊं मै
नीर भर आए याँदो संग आखियों में
लगता है दौडा दौडा तेरे पास आऊँ
तेरे लिये नन्हा सा छोटासा बन जाऊँ
रूठ जाऊ तुझ से झगडा झुठा झुठा
खेल खेलू कोई नन्हा तुझ से अनुठा
किलकारीयों में ऐसा कुछ बोल दोगी
देखकर सुधबुध मेरी खो जाएगी
हस देगी बीच में वो भी आना चाहेगी
दुरसे ही देख कर माँ ऐसे डाँटेगी
फिर भी नही मानेंगे धूम मचाऐंगे
उस क्षण पर किस्सा लिख के आयेंगे
सुनो मेरी लाडो तुमको सुनानी है
थके हारे पापा की कैसी कहानी है
थके हारे पाओं से जो निंद आजाएगी
मुलायम खाना हाथों से माँ खिलाएगी
आओगी कहानी सुनने के लिये जल्दी
सावरी से मुलायम है री मेरी गोदी
गोदी मेरी कहती है सुनलो बेटी यहीं
हरदम जो रहता मै तेरे पास नही
खाना खिलाता नहलाता ना तुझे
माँ जैसे सजाता सवाँरता ना तुझे
तेरे लिये माँ जैसे पापा भी दिवाना है
चुपचुप तेरे लिये वो भी रो देता है
सुनो मेरी लाडो तुमको सुनानी है
थके हारे पापा की कैसी कहानी है
टिमटिमाया पहली बार दात वो सुहाना
पहली बार खाया जब माँ के हाथो खाना
माँ कहने से भी पहले पापा कहा तुमने
रेंगते रेंगते घर जीत लिया तुमने
डिग डिग पहला कदम चल दिया
दूर का देखता रहा मैं पास का रह गया
पुरी त-हा फस गया बेटे ऐसे कहीं
आजकल सोता तुझे देखूँ दूर से ही
भगवान ऐसा पापा क्यो दे बेटीयों को?
जल्दी जाए देर से ही लौटे वो घर को
बचपन तेरा लाडो यूहीं बीत जाए
तेरे मेरे हाथों से वो फिसलता जाए
मेरे लिये तेरे होठों पे भले है हसीं
नजरों में तेरी पाऊँ भाव अजनबी
तेरे जग में ये पापा टिक भी पायेगा?
बडी होके पापा तुझे याद भी आयेगा?
ससुराल जाते जाते कुछ पल के लिये
आख भर आयेगी क्या ईस पापा के लिये?
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मूल मराठी कविता: दमलेल्या बापाची कहाणी
कवी: संदीप खरे
गायक व संगीत: सलील कुलकर्णी
हिंदी अनुवाद: तुषार जोशी, नागपूर
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थके हारे पापा की भावुक कविता मन को छू गयी ...!!
जवाब देंहटाएंभावुक कर गई..मराठी गीत का संगीत जरा लाऊड लगा बोल के हिसाब से..लाईट टोन होता तो और प्रभावी होता.
जवाब देंहटाएंशायद मेरी समझ कमतर हो मगर ऐसा मुझे लगा.
आप बहुत अरसे बाद दिखे..आशा है सब मजेदारी होगी.