संदिप खरे ये नाम मराठी कविताओं की दुनिया में आजकल गूँज रहा है। वें अपनी भावुक और अर्थभरी कविताओं के लिये लोकप्रिय हो गए हैं। उनकी कविताओं के अल्बम जैसे "आयुष्यावर बोलू काही" बहोत सराहे गए हैं।
आज उनकी एक कविता हिंदी पाठकों के लिये प्रस्तुत कर रहा हूँ। एस कविता का मराठी रूप भी आप
यहा पढ सकते हैं। अल्बम "आयुष्यावर बोलू काही" में एक कविता और एक गीत इस तरह हमे ये रचना मिलती है। यहाँ उसी तरह पहले कविता और फिर गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ।
कविता:गाडी निकली, हाथ हिले और, क्षण में आँखे हो गई गिली
गाडी निकली, लटके चेहरे, हँसी तो थी पर वो थी नकली
गाडी निकली, हाथोंसे वो, हाथ अभी भी छुटता नहीं
मन कहता है, तोड दे नाता, बस कहने से टुटता नहीं
क्यों इतना अपनापन देकर, फिर ये गाडी छूट रही है?
बनकर छोटा याद का बिंदू, आँख के मोती लूट रही है
गाडी तो गई, प्लॅटफार्म पर सिसकीयों की बौछार हो गई
गाडी तो गई, आखों में वर्षा, देखो मुसलाधार हो गई
गीतःये बड़ा कठिन होता है, कोई बेहद ही प्यारा, दूर दूर जब जाए
अपनी आँखो के आगे, जिने का मतलब जाए
आँखों में छलके पानी, ओठों में दबी सी सिसकी
तुम उपर से हसते हो, नियती को मज़ा आता है
ये बड़ा कठिन होता है...
फिर भी रखना होता है, हाथों में रुमाल गुलाबी
लहराकर उसे दिखाओ, जब छूट रही हि गाडी
वो खिडकी से तकती है, अपनी धून में रहती है
धीरे से अलविदा कहना, उसको क्या खूब आता है
ये बड़ा कठिन होता है...
अब भूल ही जाना होगा, ये सब तय करते हो तुम
और वो कहती है तुमको, कभी मेरे गाँव आओ तुम
ये जैसे ही कहती है, बावली हुई जाती है
आओ तुम उसका कहना, क्यों प्यार भरा होता है
ये बड़ा कठिन होता है...
वक्त हाथ से निकला, पता चलता रह रह के
अपने सपनों को रखिये, अपनी मुठ्ठी में भरके
मुठ्ठी खुलने से पहले, मन जाने को करता है
लेकिन गाडी का पहिया, घुमता चला जाता है
ये बड़ा कठिन होता है...
वापसी भरी आँखों से, सर्द सर्द आहों से
होठों पर बजती सिटी, तेज़ तेज़ धडकन से
रह रह बढ़ती है दूरी, मन समझाता रहता है
मित्रों से मिलने पर भी, दुख गहराता रहता है
ये बड़ा कठिन होता है...
अल्बम: आयुष्यावर बोलू काही (मराठी)
कवि: संदिप खरे
स्वैर अनुवादक: तुषार जोशी, नागपूर
-------------------------------------------------
इस गीत को आप
यहाँ सुन सकते हैं। अवश्य सुने।